Latest News

Thursday, November 4, 2010

दीप पर्व पर प्रदीप संदेश


ब्लॉग लिखने-पढऩे वाले सभी कलम धनिकों को शुभ दीपावली
फिर वे गुब्बारे चंद सांसों में फूलेंगे
हर बार थोड़े ऊंचे जा औकात भूलेंगे


जहां खत्म होगा उनकी हद का सफर
वहीं तो मंजिल के ठिकाने हम छू लेंगे


जब खो देंगे रोशनी वाले सारे सहारे
आत्मदीप से अंधेरे को हराने चलेंगे


रोए हैं अक्सर लोग खार के ही आंसू
अब खुशी वाले अश्क आंख से ढलेंगे


आत्म चेतन के मधुर स्वर की चाहों में
उज्ज्वल ज्योति पुष्प सदा ही खिलेंगे


देखें तब कैसे हमको ये अंधेरे छलेंगे
उजाले के ‘प्रदीप’ तो तब ही जलेंगे

Total Pageviews

Recent Post

View My Stats