Latest News
चेतना के स्वर
परित्राणाय साधुनाम विनाशाय च दुष्कृताम
Home
समाचार
टिप्पणी
कहानियाँ
कविताएँ
इतिहास
संस्कृति
प्रेरक प्रसंग
Sunday, February 28, 2010
हैप्पी होली हैप्पी होली हैप्पी होली
By
Unknown
4:43:00 PM
kavita
,
poem
,
कवि
,
ग़ज़ल
,
चेतना
,
होली
अल सुबह सूरज ने आँख खोली
धरती के माथे कुंकुम और रोली
भँवरे गायें तो कलियाँ भी बोली
ब्रज में घूमे रसिओं की टोली
अब आपके चेहरे पर भी तो
मीठी मुस्कराहट हिल डोली तो
बोलो हैप्पी होली, हैप्पी होली
सभी ब्लॉगर बांधवों और पाठकों को होली की हार्दिक मंगलमयी शुभकामनायें
हैप्पी होली हैप्पी होली हैप्पी होली
Reviewed by
Unknown
on
4:43:00 PM
Rating:
5
भैयाजी स्माइल प्लीज़
@pradipbeedawat. Powered by
Blogger
.
Labels
कविता
चेतना
उजाला
ग़ज़ल
Total Pageviews
Recent Post
View My Stats