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Monday, March 8, 2010

मातृ शक्ति जयते


ग्रामीण विकास का आधार बन रही महिला शक्ति खुद मेहनत-मजदूरी कर बच्चों को शिक्षित करने का सपना साकार कर रही है|
पारम्परिक परिधानों में लिपटी, संकुचाती घूंघटधारी ग्रामीण नारी अब गुजरे जमाने की बात हो चुकी है। ग्राम्य संस्कृति से ओत-प्रोत रहे मारवाड़ में कभी महिला का अकेले घर से बाहर निकलना बड़ी बात हुआ करता था लेकिन आज स्थिति इसके विपरीत है। चारदीवारी से बाहर निकले ये कोमल कदम ग्रामीण विकास की ऊंची उड़ान का आधार बन रहे हैं। भले ही जिले में ग्रामीण विकास के लिए करीब पौने दो साल पहले जुड़ी महानरेगा योजना में इनकी भागीदारी की बात हो चाहे हाल ही आए पंचायतराज चुनावों के परिणाम। एक ओर ये परिवार में व्याप्त अर्थाभाव का उत्तर अपने कोमल हाथों से कठोर मिट्टी खोदकर सफलतापूर्वक ढूंढ रही हैं तो लोकतंत्र में आधी दुनिया का तमगा लेकर आधे से अधिक जनप्रतिनिधियों के रूप में आईं महिलाएं ग्रामीण विकास को नए आयाम देने का माद्दा रखती हैं। इस स्थिति को देखें तो नारी को अब 'तुम केवल श्रद्धा हो...' का तमगा देकर मौन नहीं ठहराया जा सकता।

बच्चे पढ़ें और आगे बढ़ें

 रायपुर पंचायत समिति की झठा पंचायत में बाढ़ बचाओ के तहत काम कर रही श्रीमती चम्पा और भंवरी देवी का कहना है कि हालांकि नरेगा का काम अस्थाई है, अस्सी रुपए से अधिक मजदूरी मिल जाती है। इसलिए परिवार में समृद्धि की शुरुआती आधारशिला के लिए ठीक है। गीता और आशा का कहना है कि बच्चों को अच्छा पढ़ा सकें और उनका पालन-पोषण ढंग से कर पाएं। इतने पैसे मिल जाते हैं।

शिक्षा में भी आगे आईं

वर्ष 1981 में जिले के ग्रामीण इलाकों में महिला साक्षरता की दर केवल 5.79 प्रतिशत थी। 1991 में यह दर 9.31 हुई और 2001 की जनगणना के मुताबिक यह दर 31.76 प्रतिशत हो गई। बदल रहे ग्रामीण विकास का एक उदाहरण यह भी है कि आज नरेगा श्रमिक अपना एकाउंट खुद मेंटेन करती हैं। कई महिला मेट तो मोबाइल कैल्कुलेटर पर श्रमिकों का हिसाब भी करती हैं।
 
वे दिन बीते भइया

ग्रामीण इलाकों में कभी सूर्य की लालिमा बिखरने से पहले महिला को झाड़ू निकालकर घर की चारदीवारी में कैद होना होता था। अब स्थिति यह है कि दिन निकलने के साथ ही ये महिलाएं काम पर निकल जाती हैं। दिनभर कठोर मेहनत के बाद सारा घरेलू काम और फिर भी चेहरे पर मुस्कान, इनकी जीवंतता दर्शाती है। यही जीवंतता भरोसा दिलाती है ग्रामीण विकास की उस अवधारणा का जो नारी धर्म की मौलिक रचनात्मकता और सृजन शक्ति से पूरित होगी।

पति दिसावर में, वे यहां

देसूरी पंचायत समिति की सांसरी ग्राम पंचायत में आशापुरा गांव पर चल रहे खुदाई कार्य पर 45 श्रमिक कार्यरत हैं, इनमें से 34 महिलाएं हैं। यहां कार्यरत अधिकांश महिलाओं के पति राज्य से बाहर काम करते हैं और वे यहां मजदूरी करके पैसे कमाती हैं। तालाब खुदाई कार्य कर रही श्रीमती लीलादेवी ने बताया कि पति दिसावर रहते हैं और वह यहां महानरेगा पर काम करके परिवार को आर्थिक संबल देने का प्रयास करती है। यही काम कर रही दुर्गादेवी ने बताया कि परिवार में पैसे की कमी थी। पति अन्यत्र मजदूरी करते हैं और वह भी अच्छे पैसे कमा लेती हैं।

पाली सबसे अगाड़ी


महानरेगा राजस्थान में पाली जिले की महिलाओं का कार्य अनुपात पहले नम्बर पर है। यहां वर्ष 2009-2010 में कुल श्रमिकों में से 77.30 प्रतिशत महिला श्रमिक रहीं। इस वर्ष में पाली जिले में एक करोड़ 24 लाख महिला कार्यदिवसों का सृजन हुआ। दूसरे स्थान पर 75.7 प्रतिशत के साथ भीलवाड़ा और तीसरे स्थान पर 74.3 प्रतिशत के साथ सिरोही जिला रहा। 
 
नहीं थमेंगे कोमल कदम


पचास प्रतिशत आरक्षण की अनिवार्यता के साथ लोगों ने जनप्रतिनिधि के रूप में महिलाओं को अधिक पसंद किया है। ऐसे में पंचायतराज की लगभग आधी कमान महिलाओं के हाथ है। किसी जमाने में घूंघट की ओट में रहकर पुरुषों के रौब से दबी नारी शक्ति अब घर के चौके-चूल्हे से फुर्सत निकालकर 'गांव की सरकार' संभाल रही है। अन्य क्षेत्रों में पुरुषों के समानांतर कंधे से कंधा मिलाने वाली नारी अब लोकतंत्र में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हो चुकी है।

पचास प्रतिशत आरक्षण का तोहफा मिलने के बाद इस बार पाली जिले के पंचायतराज चुनावों में नारी शक्ति सशक्त होकर उभरी है। परिणामों को देखें तो कहना गलत नहीं होगा कि पचास प्रतिशत आरक्षण की अनिवार्यता के साथ लोगों ने जनप्रतिनिधि के रूप में महिलाओं को अधिक पसंद किया है। ऐसे में पंचायतराज की आधी कमान महिलाओं के हाथ है। किसी जमाने में घूंघट की ओट में रहकर पुरुषों के रौब से दबी नारी शक्ति अब घर के चौके-चूल्हे से फुर्सत निकालकर 'गांव की सरकार' संभाल रही है। अन्य क्षेत्रों में पुरुषों के समानांतर कंधे से कंधा मिलाने वाली नारी अब लोकतंत्र में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हो चुकी है। चूंकि नारी जाति सृजनात्मकता और रचनाधर्म से पूरित होती है, ऐसे में पंचायतराज के तहत जिले में विकास कार्यों को गति मिलेगी। जनादेश के जरिए पाली जिले की जनता ने यही अपेक्षा की है।

आधी हिस्सेदारी

जिला परिषद के 33 वार्डों में से सोलह पर महिलाओं ने जीत का परचम लहराकर सत्ता में आधी हिस्सेदारी हासिल की है। कहा जा सकता है कि नारी शक्ति अन्य क्षेत्रों के मुकाबले लोकतंत्र में भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाने के लिए तैयार खड़ी है। जिले की दस पंचायत समितियों में भी कमोबेश ऐसे ही हालात हैं। पचास फीसदी आरक्षण मिलने के बाद गांवों की सत्ता में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाई है। जैतारण व रायपुर पंचायत समिति में 11-11, बाली में 13, देसूरी व पाली में 7-7, रानी में 6, मारवाड़ जंक्शन में 14, सोजत व सुमेरपुर में 10-10, रोहट पंचायत समिति में सदस्य पद पर 8 महिलाओं ने सत्ता की कमान हासिल की है।

रास आई सरपंचाई

जिले की दस पंचायत समितियों में आबाद ग्राम पंचायतों के मुखिया का पदभार संभालने में भी महिलाएं कमतर नहीं रही। जिले की कुल 320 ग्राम पंचायतों में से 156 में महिलाओं ने गांव के मुखिया का पदभार संभाला। वर्तमान में जीते पुरुष सरपंचों के मुकाबले यह आंकड़ा चंद कदम पीछे है। विजेता सरपंचों में सामान्य वर्ग की 89, अजा की 30, जजा की आठ और ओबीसी वर्ग की 29 महिलाएं हैं।

हम भी हैं पंच
चूल्हे-चौके से फुर्सत निकालकर गांव की सत्ता में भागीदारी निभाने के लिए महिलाओं ने पूरी ताकत झाोंक दी। यही कारण है कि जिला परिषद से लेकर सत्ता की सबसे निचली इकाई ग्राम पंचायत में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाई है। जिले की कुल 3668 पंचायतों में से 1709 वार्र्डों में महिलाओं ने जीत का परचम लहराया है। जैतारण के 431 वार्डों में से 206, मारवाड़ जंक्शन के 512 में से 239, रायपुर के 431 में से 196, सोजत के 434 में से 208, रोहट के 252 में से 117, पाली के 243 में से 110, रानी के 303 में से 137, सुमेरपुर के 346 में से 160, देसूरी के 264 में से 123 तथा बाली पंचायत समिति के 455 वार्र्डों में से 213 वार्ड महिलाओं के नाम रहे हैं।

राजस्थान पत्रिका के पाली, जालोर व सिरोही संस्करण में महिला दिवस 8 मार्च 2010 को प्रकाशित

4 comments:

  1. आभार दिवस विशेष पर इस प्रस्तुति का.

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  2. badhiya lekhan ke liye badhai..........

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  3. महिला दिवस पर ये चेतना के स्वर भले गागे ......!!

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  4. jai shri krishna...kaise hain aap??
    mera blog blogwani aur chidhhajagatpe register hua ke nhi???

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