लोग कहते हैं जिंदगी तो हुई मौत से बदतर
जीवन प्रतिमान तय करे वो मीना जरूरी है॥
शान ए अमीरी चाहे औरों को नहीं दिखे
गर फट जाए कपड़ा तो सीना जरूरी है॥
जख्म भले कितने भी दर्दभरे और गहरे
जीवन सार है यही कि सीना जरूरी है॥
नीन्द चाहिए शाम को चादर तान करके तो
दिनभर की मेहनत का पसीना जरूरी है॥
साफ लोग दिखते नहीं दुनियावी भीड़ में
गली में रहने वाला क्यों कमीना जरूरी है?
कब तलक चेतना यूँ ही तडफडाती रहेगी
अंधेरों को अब उजाले से हार खाना जरूरी हैं॥
अब स्याह दिनों सी झूठी श्रद्धा नहीं चाहिए
सच्ची इक शिवरात्रि मन जाना जरूरी हैं॥
चाहे पार्वतियां कंठ पकड़ बैठी रहें रात-दिन
जग हित शिव को ज़हर भी पीना जरूरी है॥
बेटों के ही हाथों लुट रही है मेरी मातृभूमि
वतन की फिक्र करें तो 'प्रदीप' जीना जरूरी हैं॥
सभी पाठकों और ब्लॉगर बन्धु बांधवों को शिवरात्रि की सुभकामनाएँ