हमें सोते हुए से वे कुछ यूँ जगा गए,
फूलों ने दिए थे ज़ख्म वे उन पर नमक लगा गए
कहते थे बहुत समझदार हैं छुटपन से,
बस लाड प्यार में उनके जरा कदम डगमगा गए
टूटा कईयों का झूठा यकीं तो कोई बात नहीं,
मुझसे लिया था उधर देकर मुझी को दगा गए
कहते थे जाने नहीं देंगे ज़माने से दूर हमें,
खुद जाकर शहर में हमारी बोली लगा गए
कहते दुनिया बड़ी जालिम और खुद बड़े भोले
पर कमीने थे वे मुझ को सोते से जगा गए
बिकने से बचाया था कभी मैंने बाज़ार में
आज वे 'प्रदीप' तेरी कीमत बता गए
फूलों ने दिए थे ज़ख्म वे उन पर नमक लगा गए
कहते थे बहुत समझदार हैं छुटपन से,
बस लाड प्यार में उनके जरा कदम डगमगा गए
टूटा कईयों का झूठा यकीं तो कोई बात नहीं,
मुझसे लिया था उधर देकर मुझी को दगा गए
कहते थे जाने नहीं देंगे ज़माने से दूर हमें,
खुद जाकर शहर में हमारी बोली लगा गए
कहते दुनिया बड़ी जालिम और खुद बड़े भोले
पर कमीने थे वे मुझ को सोते से जगा गए
बिकने से बचाया था कभी मैंने बाज़ार में
आज वे 'प्रदीप' तेरी कीमत बता गए