वर्ण तुम्हारा जैसे कंचन
मेरी जिह्वा तू विराजे
चेतना दे जीवन तार दे
माँ शारदे, माँ शारदे, माँ शारदे ...
तेरे सुयश को गा सकूँ
हर जन्म तुझको पा सकूं
पद कमल को नहला सकूँ
इतना मुझे अधिकार दे
माँ शारदे, माँ शारदे, माँ शारदे ...
मात मेरी तू मै पुत्र तेरा
तेरे बिन जीवन में अँधेरा
कलम सूखे गर तू न तूठे
इस 'प्रदीप' को तू प्यार दे
माँ शारदे, माँ शारदे, माँ शारदे ...
बसंत पंचमी पर सभी कलमकारों को बधाइयाँ
- प्रदीपसिंह