प्रदीप है नित कर्म पथ पर
फिर अंधेरों से क्यों डरें!
हम हैं जिसने अंधेरे का
काफिला रोका सदा,
राह चलते आपदा का
जलजला रोका सदा,
जब जुगत करते रहे हम
दीप-बाती के लिए,
जलते रहे विपद क्षण में
संकट सब अनदेखा किए|
प्रदीप हम हैं जो
तम से सदा लड़ते रहे,
हम पुजारी, प्रिय हमें है
ज्योति की आराधना,
हम नहीं हारे भले हो
तिमिर कितना भी घना,
है प्रखर आलोक उज्ज्वल
स्याह रजनी के परे
श्रेष्ठ भारत लक्ष्य सदा है
फिर अंधेरों से क्यों डरें!
हाँ ,अँधेरे से क्या डरना !
ReplyDeleteये रोशनी जग मे' सदा अमर रहे, ,,,
ReplyDeleteये रोशनी जग मे' सदा अमर रहे, ,,,
ReplyDeletedhanywad
ReplyDeleteनाम वही, काम वही लेकिन हमारा पता बदल गया है। आदरणीय ब्लॉगर आपने अपने ब्लॉग पर iBlogger का सूची प्रदर्शक लगाया हुआ है कृपया उसे यहां दिए गये लिंक पर जाकर नया कोड लगा लें ताकि आप हमारे साथ जुड़ें रहे।
ReplyDeleteइस लिंक पर जाएं :::::
http://www.iblogger.prachidigital.in/p/multi-topical-blogs.html
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनायें