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Sunday, May 1, 2011

....और वह आरएएस बन गया


पाली। "पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं" इस कहावत को झुठलाया है पाली जिले के गुड़ा केसरसिंह गांव के दलपतसिंह राठौड़ ने। बीए पास करने में सात साल लगाने वाले राठौड़ ने तीन प्रयासों में ही राजस्थान प्रशासनिक सेवा में 55वीं रेंक पर चयनित होकर औसत अकादमिक रिकॉर्ड वाले अभ्यर्थियों के सामने एक नजीर पेश की है। राठौड़ राज्य सेवा में अधिकारी बनेंगे इसका घरवालों ने कभी सपना भी नहीं देखा था। हालांकि बारहवीं के बाद राठौड़ पाली में ग्रामसेवक बन चुके थे।


आखिर छू लिया आसमां
- संघशक्ति नामक पत्रिका में उनके महाराणा प्रताप पर लिखे लेख से प्रभावित होकर उनके साथी गजेन्द्रसिंह ने उन्हें प्रशासनिक सेवा के लिए तैयारी करने के लिए प्रोत्साहित किया। 
- इसके बाद जब उन्होंने घरवालों से दिल्ली जाकर आईएएस की तैयारी करने की अनुमति मांगी तो सभी की हंसी छूट गई। पिता मोहन सिंह राठौड़ ने कहा, पांच साल बिना तनख्वाह रहोगे तो घर कैसे चलेगा? 
- इसके बावजूद वे दिल्ली गए और राज्य सेवा परीक्षा 2007 में दूसरे ही प्रयास में 448वीं रेंक पर उनका को-ऑपरेटिव निरीक्षक के पद पर चयन हो गया। 2008 परीक्षा के हाल ही आए रिजल्ट में उन्हें 55वीं रेंक मिली।
- पाली में सब रजिस्ट्रार कार्यालय में कार्यरत राठौड़ को 
क्षत्रिय युवक संघ ने जज्बा दिया, उनकी मां सुगन कंवर देवड़ा, पत्नी विनोद कंवर ने हिम्मत बंधाई। भाई राजेन्द्र सिंह डिगाई ने सहयोग किया। बस सही दिशा में ईमानदार प्रयास किया तो सफलता पास आती गई। 



अकादमिक रिकॉर्ड
____________________________________________________________12वीं में हैट्रिक विफलता, 1993 से 1995 तक लगातार फेल।
फर्स्ट ईयर में पांच साल फेल (1996 में बीएससी व 1997 से 1999 तक बीए (इतिहास, लोक प्रशासन व अंग्रेजी साहित्य)
बीए थर्ड डिवीजन बाई ग्रेस। पीईटी, पीएमटी में विफलता।

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ग्रामसेवक परीक्षा में चयनित
आईएएस प्री 2006 में क्लियर, मैन्स में अटके।
आरएएस 2007 में 448वीं रेंक पर चयनित। आरएएस 2008 में 55वीं रेंक पर चयन। 

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