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Saturday, May 7, 2011

बाळपणै में परण्या आठ एमपी




प्रदीप बीदावत @ पाली

ये हैं बाल दूल्हे सांसद


ताराचंद भगोरा (बांसवाड़ा) 18 वर्ष एक माह
किरोड़ीलाल मीणा (दौसा), 10 वर्ष
रामसिंह कस्वां (चूरू) : 20 वर्ष 10 माह
महादेवसिंह खण्डेला (सीकर) : 17 वर्ष 10 माह
अर्जुनराम मेघवाल (बीकानेर), 14 वर्ष 4 माह
रतनसिंह (भरतपुर), 9 वर्ष 4 माह
राज्यसभा सांसद
- अश्क अली टांक, 10 वर्ष 4 माह
- रामदास अग्रवाल, 19 वर्ष 1 माह


संसद में बैठकर कानून बनाने वाले राज्य के कुल 30 में 8 सांसदों का बाल विवाह हुआ था। शारदा एक्ट कानून का उल्लंघन कर बने इन सासदों में तीन भाजपा व पांच कांग्रेस खेमे के हैं। इनमें दोनों पार्टियों के एक-एक राज्यसभा सांसद भी शामिल हैं। भारत सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध सांसदों की प्रोफाइल देखने पर पता चलता है कि राज्य से कुल 35 सांसद (राज्यसभा-लोकसभा) में से 8 बाल विवाहित हैं। इनमें से पांच ने अपनी विवाह तिथि का उल्लेख ही नहीं किया है, जबकि दो सांसद अविवाहित हैं।
यह है कानून
विवाह की न्यूनतम आयु का सबसे पहले 1929 में बने शारदा एक्ट में निर्धारण किया गया था। इसमें विवाह के लिए लडक़े की आयु 18 और लडक़ी की 14 वर्ष तय की गई थी। इसके बाद 1954 के स्पेशल मैरिज एक्ट में इस आयु सीमा को बढ़ाकर क्रमश: 21 और 18 वर्ष किया गया, जो अब तक जारी है। बाल विवाहित सांसदों का विवाह 1954 के एक्ट के लागू होने के बाद ही हुए हैं।
तिथि उपलब्ध नहीं
खिलाड़ीलाल बैरवा (करौली-धौलपुर), लालचंद कटारिया (जयपुर ग्रामीण), नमोनारायण मीणा (टोंक-सवाईमाधोपुर), शीशराम ओला (झुंझुनूं), गोपालसिंह शेखावत (राजसमंद)।
मैडम बालिग, साहब नाबालिग
चूरू एमपी रामसिंह कस्वां की पत्नी श्रीमती कमला कस्वां (सादुलपुर विधायक) विवाह के समय बालिग थीं। वहीं एमपी किरोड़ीलाल मीणा की उम्र विवाह के समय मात्र दस वर्ष थी, जबकि उनकी पत्नी श्रीमती गोलमा देवी (महुआ विधायक) 11 वर्ष 4 माह की थीं। हालांकि किरोड़ीलाल मीणा और श्रीमती गोलमा ने अपनी विवाह तिथियां अलग-अलग लिखवाई हैं।

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http://chetna-ujala.blogspot.com/2010/05/blog-post_23.html



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